मनोहर अर्जुन सर्वे 11 जनवरी 1982 को मुंबई पुलिस के द्वारा किए गए एनकाउंटर हमले में मारे गए। उसके गैंग के लोग उसे मन्या सुर्वे बुलाते थे इस वजह से पुलिस रिकॉर्ड में अर्जुन का नाम मन्या सुर्वे के नाम से दर्ज है जो अपने जमाने का एक कुख्यात डॉन था। अगर आप मन्या सुर्वे जीवन के बारे में जानना चाहते है तो आज के लेख में हम आपको बताएंगे कि किस प्रकार महाराष्ट्र के बाहर से आया हुआ यह लड़का मुंबई का एक जाना माना डॉन बन गया।
भारत का महाराष्ट्र राज्य खास कर मुंबई शहर 1950 से 2000 तक अलग-अलग प्रकार के डॉन के दबदबे में रहा है। इतनी बड़ी सूची में अलग-अलग दशक में अलग-अलग डॉन का दबदबा रहा है। हर दशक में मुंबई के अलग-अलग इलाके में अलग-अलग डाउन होते थे जो अपना गैंग संचालित करते थे और दूसरे गैंग के साथ लड़ाई करते थे ताकि उनका इलाका हड़पा जा सके। इसी गैंगस्टर और अंडरवर्ल्ड दुनिया में 1980 के दौर में मन्या सुर्वे भाई का नाम बड़ी तेजी से प्रचलित हुआ था। आज हम Manya Surve Biography in Hindi के बारे में विस्तार पूर्वक जानेंगे जिसके लिए आपको हमारे लेख के साथ अंत तक बने रहना होगा।
Contents
Manya Surve Biography in Hindi
नाम | मनोहर अर्जुन सर्वे |
उपनाम | मन्या सुर्वे |
जन्म तिथि | 1944 |
जन्म स्थान | महाराष्ट्र, मुंबई |
देश | भारत |
कार्य | मुंबई का कुख्यात डॉन |
मृत्य | 11 जनवरी 1982 में पुलिस एनकाउंटर |
जुर्म | मर्डर, हफ्ता, वसूली, लूट और चोरी |
फिल्म | Shootout at Wadala |
कौन था मन्या सुर्वे?
मन्या सुर्वे का असली नाम मनोहर अर्जुन सुर्वे था उसके गैंग के लोग उसे मन्या सुर्वे भाई बुलाते थे इस वजह से पुलिस रिकॉर्ड में मन्या सुर्वे दर्ज किया गया है। उसका जन्म महाराष्ट्र के बाहर कहीं हुआ था मगर अपने पिता के साथ वह मुंबई में आकर बस गया था। उसका बचपन बहुत गरीबी में बीता था मगर 1968 में छोटी मोटी चोरी चकारी में उसका नाम आने लगा था, इसके बाद 1969 में उसने पैसे के लिए किसी दादेकर नाम के व्यक्ति का मर्डर किया था। इसके बाद उसे उम्र कैद की सजा हुई थी मगर वह जेल से भाग गया था। जिसके बाद उसने मुंबई शहर में सालों तक लूटमार किया जिसमें उसने बड़े बड़े बैंक और कंपनियों में लूट मचाई थी।
11 जनवरी 1982 को वह अपनी गर्लफ्रेंड से मिलने वडाला के ब्यूटी पार्लर में आया था और वहां पुलिस को यह आदेश दिए गए थे कि मुंबई के सबसे ताकतवर और कुख्यात अंडरवर्ल्ड डॉन मन्या सुर्वे को इनकाउंटर में मार दिया जाए। वहां ऐसा ही हुआ और बताया जाता है कि मुंबई का यह पहला भयानक एनकाउंटर था, जिस पर शूटआउट एट वडाला नाम की फिल्म भी बनाई गई है।
मन्या सुर्वे का जीवन परिचय
पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक मन्या के पिता ने दूसरी शादी की थी और मन्या अपनी सौतेली मां और सौतेले भाई से परेशान था, साथ हि वह गरीब घर से ताल्लुक रखता था और छोटे मोटे काम कर के पैसे कमाता था। उसने मुंबई के कीर्ति कॉलेज से BA की डिग्री हासिल की थी।
जब मन्या पैसे की वजह से बहुत परेशान था तब 1968 में उसके सौतेले भाई भार्गवा दादा उसे अपराध की दुनिया में लेकर आते है। दादर के इलाके में भार्गव दादा का खौफ चलता था, जिसे बरकरार रखने और दादर में हफ्ता वसूली करने के लिए मन्या को लाया गया था। कुछ दिन तक छोटी मोटी चोरी चकारी करने के बाद मनोहर का नाम मन्या सुर्वे हो गया था। 1969 में उसने पैसे की हफ्ता वसूली के दौरान दादेकर नाम के एक आदमी का मर्डर कर दिया, जिसके बाद उसे उम्र कैद की सजा हुई थी। उम्र कैद की सजा काटने के लिए उसे पुणे के जेल में भेजा गया था जहां उसे पता चला कि उसके इलाके में सुहास भटकर नाम का कोई डॉन आया है जिसके गैंग के लोग जब पकड़ा कर जेल आते थे तो उसे मन्या खूब पिटता था। जिसके बाद जेल शिफ्ट किया गया था।
हालांकि इसके बाद वह भूख हड़ताल पर बैठ गया जिस वजह से उसकी तबीयत खराब हुई और उसे अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा वह मौका पाकर वह पुलिस को चकमा देकर भाग गया। 1979 में वह पुलिस को चकमा देकर भागा था और वहां से मन्या सुर्वे का आतंक मुंबई में शुरू हुआ था। एक बहुत महंगी गाड़ी किसी अमीर व्यक्ति को मारकर छीन ली थी। इसके अलावा अलग-अलग कंपनी और बैंक में रॉबरी करने की वजह से वह मुंबई में प्रचलित हो गया था।
जिस जमाने में मुंबई पर केवल पठान डॉन का राज चलता था उस वक्त किसी केसर गैंग ने पठानों के नाक में दम कर के रख दिया था। जिसे हराने के लिए कुख्यात पठान डॉन दाऊद इब्राहिम को मन्या सुर्वे की मदद लेनी पड़ी थी। हालांकि इसके बाद दाऊद इब्राहिम के गैंगस्टर लड़के और मन्या सुर्वे के गैंगस्टर लड़कों के बीच जंग शुरू हो गई थी।
मन्या सुर्वे एकमात्र ऐसा डॉन था जो पढ़ा लिखा था साथ ही उसके पास ग्रेजुएट की डिग्री भी थी। यही कारण था कि वह अलग अलग विदेशी उपन्यासों को पड़ता था और विदेश में हो रहे गैंगस्टर हरकतों को पढ़कर उन्हें मुंबई में आजमाता था। रिकॉर्ड के मुताबिक मन्या सुर्वे एकमात्र पढ़ा-लिखा और ग्रेजुएट डॉन था। 1981 में मुंबई के केनरा बैंक में उसने दिन दहाड़े डेढ़ लाख रुपए की लूट की थी (उस जमाने में डेढ़ लाख रुपए बड़ी रकम होती थी)।
इसके बाद मन्या सुर्वे का आतंक इस कदर बढ़ गया था कि दाऊद इब्राहिम भी उसे परेशान हो गया था। इसके बाद पुलिस को मन्या सुर्वे और उसके साथियों के ठिकानों के बारे में पता चलना शुरू हुआ जहां पुलिस ने धीरे-धीरे उसके सभी साथियों को पकड़ लिया। पुलिस को उसकी गर्लफ्रेंड की दोस्त से मालूम चला था कि 11 जनवरी 1982 को मन्या सुर्वे वडाला के ब्यूटी पार्लर में अपनी गर्लफ्रेंड से मिलने जाने वाला है। पुलिस वालों को उस दिन यह आदेश दिया गया था कि मन्या सुर्वे को जिंदा पकड़ने की जरूरत नहीं है उसे वहीं काउंटर में मार दिया जाए।
पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक 80 के दशक में वडाला में एक बहुत बड़ा एनकाउंटर चला था जिसमें मन्या सुर्वे ने पुलिस के साथ फायरिंग की थी, मगर अंत में मन्या सुर्वे को पुलिस वालों ने 5 गोली दागकर एनकाउंटर में मार दिया।
(FAQ)
मन्या सुर्वे कौन था?
मन्या सुर्वे एक प्रचलित अंडरवर्ल्ड डॉन था जो 1979 से 1981 तक मुंबई में लूटमार और मर्डर में अपना दहशत कायम किया था।
जॉन अब्राहम की फिल्म शूटआउट एट वडाला किस डॉन पर आधारित है?
2013 में आई जॉन अब्राहम की फिल्म शूटआउट अट वडाला अंडरवर्ल्ड डॉन मन्या सुर्वे के जीवन पर आधारित है।
मुंबई में मन्या सुर्वे का आतंक क्यों था?
मुंबई में मन्या सुर्वे ने 1969 में मर्डर किया था जिसके बाद उसे उम्र कैद की सजा हुई थी मगर वह पुलिस के हिरासत से भाग गया था और 1979 से 1981 तक लूटमार और मर्डर की वजह से जाना माना कुख्यात डॉन बन गया था।
मन्या सुर्वे की मौत कब हुई?
मन्या सुर्वे की मौत 11 जनवरी 1982 को सुबह 2:00 बजे पुलिस एनकाउंटर में वडाला में हुई थी।
निष्कर्ष
हमने अपने आज के इस महत्वपूर्ण लेख में मान्या सुर्वे की बायोग्राफी के बारे में आपको जानकारी दी हुई है और हमें उम्मीद है कि मान्या सुर्वे की बायोग्राफी आपके लिए काफी उपयोगी साबित हुई होगी और अगर आपको यह जानकारी पसंद आई हो तो आप इसे अपने दोस्तों के साथ और अपने सभी सोशल मीडिया हैंडल पर शेयर करना ना भूले और लेख से संबंधित किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स का इस्तेमाल जरूर करें।